आखिरकार आज कांग्रेस ने राजनीति की शतरंज में प्रियंका रूपी अपने अंतिम घोड़े की चाल भी चल ही दी !!

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आखिरकार आज कांग्रेस ने राजनीति की शतरंज में प्रियंका रूपी अपने अंतिम घोड़े की चाल भी चल ही दी !!
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राहुल और कांग्रेस का अस्तित्व बचाने के लिए प्रियंका की एक लंबी छलांग

जब 2019 के आगामी लोकसभा चुनाव की राजनीति की शतरांज बिछ चुकी है और सभी अपनी - अपनी चाले चल रहे हैं तब ऐसे में कभी देश की बड़ी पार्टी रह चुकी कांग्रेस को भी अपने अस्तित्व को बचाने के लिए और क्षेत्रीय दलों के सामने अपना सम्मान बनाए व बचाए रखने के लिए कोई तो बड़ी चाल चलनी ही थी। क्योंकि उसके सामने एक बड़ा सवाल ये पैदा हो गया था कि जब यूपी में अखिलेश-मायावती हो या बिहार में लालू के वारिस या फिर पूरे भारत में विपक्ष की छोटी-बड़ी पार्टियों द्वारा महागठबंधन बनाए जाने की चल रही चर्चा हर जगह के नेता राहुल से एक उचित दूरी बना कर चलने की कोशिश कर रहे हैं। जिस कारण कांग्रेस एकदम अलग सी पड़ती जा रही थी शायद इसी अछूतपने की बैचनी या छटपटाहट में आज कांग्रेस को अभी तक बचाकर रखी गई अपनी अंतिम चाल चलने के लिए मजबूर होना पड़ा।

लेकिन कहा जाता है कि राजनीति की शतरंज बड़ी अजीब होती है अक्सर यहाँ आपकी सबसे बेहतरीन समझी जाने वाली चाल भी मात खा जाती है। अब ये तो आने वाले लोकसभा चुनावों के बाद ही पता लगेगा कि कांग्रेस द्वारा प्रियका रूप में चला गया उसका ये दाव राहुल के डूबते भविष्य के साथ ही कांग्रेस की डूबती नाव को भी बचा लेगा या फिर राहुल की ही तरह प्रियंका वाड्रा भी मात्र एक लंगड़ा घोडा ही साबित होंगी।

कांग्रेस पार्टी ने प्रियंका वाड्रा को महासचिव बनाया है और उन्हेंज पूर्वी उत्त्र प्रदेश में पार्टी की डूबती नैया को पार लगाने की जिम्मे दारी दी गई है। विश्लेिषकों के मुताबिक मोदी-योगी की जोड़ी और समाजवादी पार्टी-बीएसपी के गठबंधन के बीच प्रियंका गांधी का करिश्मा दिखा पाना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है।

आगामी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले प्रियंका को सक्रिय राजनीति में उतारने पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, 'हम बैकफुट पर नहीं फ्रंटफुट पर खेलेंगे। साथ ही यूपी में कांग्रेस की विचारधारा को बनाए रखने की पुरजोर कोशिश करेंगे।' राहुल गांधी अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी में दो दिन के दौरे पर हैं। अमेठी पहुंचने से पहले ही उन्होंने बड़ा दांव खेला है। पत्रकारों से बातचीत में राहुल ने एक बार फिर एसपी-बीएसपी के साथ बातचीत के अवसर खुले रखने की बात भी कही और साथ ही यह भी कहा कि मायावती और अखिलेश से उनकी किसी तरह की दुश्मनी नहीं है।

राहुल गांधी ने कहा, 'मैं व्यक्तिगत रूप से काफी खुश हूं कि मेरी बहन (प्रियंका) जो खुद में कर्मठ और सक्षम हैं, वह अब मेरे साथ काम करेंगी।' उन्होंने कहा कि 'हमारा बड़ा स्टेप लेने के पीछे मकसद यही है कि हम बैकफुट पर नहीं फ्रंटफुट पर खेलेंगे और कांग्रेस की विचारधारा को बरकरार रखेंगे।' वहीं प्रियंका के चुनाव लड़ने के सवाल पर राहुल ने कहा, 'यह उनके ऊपर है। हालांकि मैंने प्रियंका और ज्योतिरादित्य को दो महीने के लिए यूपी नहीं भेजा है बल्कि कांग्रेस की जो विचारधारा है उसे यूपी में फिर से मजबूत बनाने के लिए कहा है। मुझे उम्मीद है कि वह दोनों मिलकर कांग्रेस को यूपी में मजबूत बनाएंगे।'

बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने प्रियंका गांधी की राजनीति में एंट्री करने का फैसला किया है। प्रियंका गांधी को पूर्वी यूपी का प्रभार दिया गया है, जबकि पश्चिमी यूपी की कमान ज्योतिरादित्य सिंधिया को दी गई है।

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