खण्डन – भूमिहार कौन (Who are Bhumihar) ?
इस आख्यान से यह भी स्पष्ट हैं कि दान लेना आदि स्थितिजन्य गति हैं, और कालांतर में याचक ब्राह्मण अयाचक और अयाचक ब्राह्मण याचक हो सकते हैं और इसी प्रकार अयाचक और याचक ब्राह्मणों के पृथक्-पृथक् दल बनते और घटते-बढ़ते जाते हैं


X
इस आख्यान से यह भी स्पष्ट हैं कि दान लेना आदि स्थितिजन्य गति हैं, और कालांतर में याचक ब्राह्मण अयाचक और अयाचक ब्राह्मण याचक हो सकते हैं और इसी प्रकार अयाचक और याचक ब्राह्मणों के पृथक्-पृथक् दल बनते और घटते-बढ़ते जाते हैं
0