क्या वाकई लेफ्ट की हार हुई है ?
मार्क्स, एंगेल्स, लेनिन, स्टॅलिन की आप आलोचना नहीं करते। हिन्दू ग्रंथों की आलोचना करते नहीं थकते, हालाँकि दोनों भी आप ने पढ़े नहीं होते। और हाँ, ग्राम्सी तथा फ्रँकफुर्तियों के नाम भी आप को पता नहीं होते, लेकिन आप जो अपने ही धर्म की आलोचना कर रहे होते हैं यह उनके अनुयायियों की ही देन है और हमारे लिए वे मूर्धन्य विद्वान हैं
Anand Rajadhyaksha | Updated on:5 March 2018 3:15 PM IST
मार्क्स, एंगेल्स, लेनिन, स्टॅलिन की आप आलोचना नहीं करते। हिन्दू ग्रंथों की आलोचना करते नहीं थकते, हालाँकि दोनों भी आप ने पढ़े नहीं होते। और हाँ, ग्राम्सी तथा फ्रँकफुर्तियों के नाम भी आप को पता नहीं होते, लेकिन आप जो अपने ही धर्म की आलोचना कर रहे होते हैं यह उनके अनुयायियों की ही देन है और हमारे लिए वे मूर्धन्य विद्वान हैं
अगर आप ऐसा समझते हैं तो मेरे हिन्दू भाई और बहन, कृपया दो मिनट आगे पढ़कर मुगालते से निकलने का कष्ट करें। ईश्वर के बाद और ईश्वर से अधिक डायरेक्टली आप को कोई कंट्रोल करता है तो वो लेफ्ट ही है, समझिये कैसे?
1. आप स्कूल कॉलेज या अपने दफ्तर में टीका लगाकर नहीं जाते
2. कोई और टीका लगाकर आता है तो आप भी उसका मज़ाक उड़ाते हैं लेकिन जालीदार और दाढ़ी का नहीं उड़ाते। ईसाई क्रॉस लटकाकर आता है उसका भी नहीं।
3. साडी का आप मज़ाक उड़ाते हैं, काले तम्बू का नहीं
4. मार्क्स, एंगेल्स, लेनिन, स्टॅलिन की आप आलोचना नहीं करते। हिन्दू ग्रंथों की आलोचना करते नहीं थकते, हालाँकि दोनों भी आप ने पढ़े नहीं होते। और हाँ, ग्राम्सी तथा फ्रँकफुर्तियों के नाम भी आप को पता नहीं होते, लेकिन आप जो अपने ही धर्म की आलोचना कर रहे होते हैं यह उनके अनुयायियों की ही देन है और हमारे लिए वे मूर्धन्य विद्वान हैं। उनकी मूर्धन्यता 'अहो रूपं अहो ध्वनिम' होती है यह हम नहीं जानते यह भी वामियों की सफलता ही है
5. समाजवाद और साम्यवाद इन दो शब्दों को आप न्याय समझते हैं जबकि दोनों केवल एक ही अन्याय के दो नाम हैं। "चींटी की मेहनत पर टिड्डे का हक", यह वाक्य इसका एक यथार्थ वर्णन है लेकिन आप के मुंह से यह निकलता नहीं
6. कोई वामी जब मुफ्तखोरी को हक बताता है तो आप उस से पूछने की हिम्मत नहीं करते कि इसके पैसे किसकी जेब से आयेंगे
7. घोड़े गधे को समान बताना आप के लिए सामाजिक न्याय की परिभाषा है। आप ये नहीं समझते कि यह वामियों ने आप को बेचीं हुई गुलामी है
8. समाजवादियों ने शिक्षा के साथ जो किया उससे आप के बच्चे क्या भुगत रहे हैं यह आप को अब जाकर समझ आ रहा है लेकिन तब उनके नंबर आप को लुभावने लगते थे। वे ऊँचे मार्क्स नहीं थे बल्कि वामियों द्वारा गिराया हुआ शिक्षा का स्तर था यह अभी भी कई लोग मानने को तैयार नहीं है
9. वर्क कल्चर के नाम पर आप पर बोलने की कितनी पाबंदियां है खुद ही सोचिये
10. वामी फिल्म मेकर्स की आलोचना करने से आप कतराते हैं क्योंकि न जाने आप को दकियानूसी घोषित किया जाएगा, हालांकि आप को भी उनका कमीनापन अब दिखने लगा है। बात उनके टैलेंट की नहीं, उस टैलेंट के हम भी कायल है, बात उनके कमीनेपन की है। लेकिन बिल्ली के गले में घंटी बांधने की आप की हिम्मत नहीं होती
11. आप मुग़लों को महान मानने को मजबूर होते हैं, स्कूल का साल सत्य से अधिक महत्व रखता है। सत्य आप को फेल करा देगा, स्कूल के साल में आप के जिन्दगी का कीमती समय और माँ बाप की पूँजी लगी रही है। मुगलों की महानता के साथ-साथ बाकी ढेर सारी बातें खुद जोड़ लीजिये
12. सोशल मीडिया पर मेरे जैसों के लेख आप सायलेंट मोड़ में ही पढ़ने को अभिशप्त हैं, खुलकर फॉरवर्ड करना, या कमेन्ट को तो छोड़िए, आप केवल लाइक भी नहीं कर सकते, क्योंकि आप को पता नहीं आप को कौन वाच कर रहा है और आप के एक लाइक के क्या परिणाम होंगे।
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बस बारह लक्षण दिए हैं, परमेश्वर और वाम की सत्ता अनंत है, बाकी आप अपने अनुभव याद कीजिये। बाकी कमेन्ट, शेयर कॉपी पेस्ट आदि हैं ही।
जय हिन्द