क्या वाकई लेफ्ट की हार हुई है ?
मार्क्स, एंगेल्स, लेनिन, स्टॅलिन की आप आलोचना नहीं करते। हिन्दू ग्रंथों की आलोचना करते नहीं थकते, हालाँकि दोनों भी आप ने पढ़े नहीं होते। और हाँ, ग्राम्सी तथा फ्रँकफुर्तियों के नाम भी आप को पता नहीं होते, लेकिन आप जो अपने ही धर्म की आलोचना कर रहे होते हैं यह उनके अनुयायियों की ही देन है और हमारे लिए वे मूर्धन्य विद्वान हैं

मार्क्स, एंगेल्स, लेनिन, स्टॅलिन की आप आलोचना नहीं करते। हिन्दू ग्रंथों की आलोचना करते नहीं थकते, हालाँकि दोनों भी आप ने पढ़े नहीं होते। और हाँ, ग्राम्सी तथा फ्रँकफुर्तियों के नाम भी आप को पता नहीं होते, लेकिन आप जो अपने ही धर्म की आलोचना कर रहे होते हैं यह उनके अनुयायियों की ही देन है और हमारे लिए वे मूर्धन्य विद्वान हैं
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