ब्रह्मदत्त द्विवेदी और मायावती : गेस्ट हाउस कांड
उस समय कोई भी उन सपाई गुंडों से भिड़ने को तैयार न था यहाँ तक कि बहन जी की पार्टी के लोग भी गेस्ट हाउस छोड़कर भाग गए थे। उस समय खड़ा हुआ एक व्यक्ति जिसने हथियार से लैश गुंडों की परवाह किए बिना दरवाज़ा तोड़कर एक लट्ठ के बलपर मायावती जी की जान और इज़्ज़त दोनो बचाई। कौन था वो जाँबाज? उस सख्श का नाम था "ब्रह्मदत्त द्विवेदी" (मायावती के जीवन पर आधारित अजय बोस की किताब 'बहिन जी' के अनुसार) !
Shailendra Singh | Updated on:5 March 2018 3:46 PM IST
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उस समय कोई भी उन सपाई गुंडों से भिड़ने को तैयार न था यहाँ तक कि बहन जी की पार्टी के लोग भी गेस्ट हाउस छोड़कर भाग गए थे। उस समय खड़ा हुआ एक व्यक्ति जिसने हथियार से लैश गुंडों की परवाह किए बिना दरवाज़ा तोड़कर एक लट्ठ के बलपर मायावती जी की जान और इज़्ज़त दोनो बचाई। कौन था वो जाँबाज? उस सख्श का नाम था "ब्रह्मदत्त द्विवेदी" (मायावती के जीवन पर आधारित अजय बोस की किताब 'बहिन जी' के अनुसार) !
लखनऊ के "गेस्ट हाउस कांड" से सभी परिचित हैं जब सपा बसपा सरकार का गठबंधन टूटने की वजह से सरकार गिरती देखकर मुलायम जादो के 'सपैये गुंडो' ने गेस्ट हाउस कमरा नम्बर एक में रुकी मायावती जी की कमरे में घुसकर पिटाई की दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया और सच्चाई तो यहाँ तक है कि मायावती के कपड़े तक फाड़ डाले थे।
उस समय कोई भी उन सपाई गुंडों से भिड़ने को तैयार न था यहाँ तक कि बहन जी की पार्टी के लोग भी गेस्ट हाउस छोड़कर भाग गए थे। उस समय खड़ा हुआ एक व्यक्ति जिसने हथियार से लैश गुंडों की परवाह किए बिना दरवाज़ा तोड़कर एक लट्ठ के बलपर मायावती जी की जान और इज़्ज़त दोनो बचाई। कौन था वो जाँबाज? उस सख्श का नाम था "ब्रह्मदत्त द्विवेदी" (मायावती के जीवन पर आधारित अजय बोस की किताब 'बहिन जी' के अनुसार) !
आज लोग बोल रहे हैं कि "ब्रह्मदत्त जी" की आत्मा रो रही होगी, क्यों रोएगी भला? संघ के परिवेश से कितने लोग वाक़िफ़ हैं जो बोल रहे हैं संघ बदले में अहसान चाहता है? कभी नहीं संघ सिर्फ़ कार्य करता है अहसान चुकाना आपकी मर्ज़ी पर है!
भला ब्रह्मदत्त जी की आत्मा अब क्यों रोएगी रोना होता तो तभी रोती जब मायावती उनके पार्थिव शरीर को देखने तक न गई उनकी हत्या के बाद, या तब रोती जब मायावती ने 'उस सपाई विधायक' को अपनी पार्टी से टिकट दिया जिसने उनकी हत्या की जबकि उसको निचली अदालत से सज़ा हो चुकी थी या फिर तब रोती जब मायावती ने अपने 'कपड़े फाड़ने' वालों को टिकट दिया जो सपाई गुंडे थे......
संघियों की आत्मा रोती नहीं है वह अपना काम कर देते हैं ईश्वर उनके साथ रहता है
मायावती जी की आत्मा ज़रूर रोई होगी और आगे भी रोएगी जब वह अपने ऊपर हमलावरों के साथ गलबहियां करेंगी। यह राजनीति है अगर अखिलेश जादो अपने पिता मुलायम जादो की हत्या का प्रयास करने वाले कांग्रेस से हाथ मिला सकते हैं तो मायावती क्यूँ नहीं ?
चुनाव आपको करना है इन गीदड़ों से लड़ने को तैयार रहिए, लोगों को समझाइए 2019 चुनाव हिंदुत्व का है मोदी या अमित शाह का नहीं हारेगा तो हिंदुत्व जीतेगा तो हिंदुत्व !
जय श्री राम
जय भवानी