"जोशुआ प्रोजेक्ट और 10/40 विंडो"? हलेलूईया : भाग_1
जोशुआ एक ईसाई मिशनरीज़ द्वारा चलाया जाने वाला प्रोजेक्ट है जो मुख्यतः "वैटिकन चर्च" द्वारा संचालित और वित्त पोषित है जिसको वहाँ की सरकारों का खुला सपोर्ट है! मुख्य उद्देश्य दुनिया भर के लोगों को ईसाई बनाना उनकी भाषा में बोले तो अंधकार से प्रकाश की तरफ़ ले जाना !
Shailendra Singh | Updated on:15 March 2018 11:30 AM IST
जोशुआ एक ईसाई मिशनरीज़ द्वारा चलाया जाने वाला प्रोजेक्ट है जो मुख्यतः "वैटिकन चर्च" द्वारा संचालित और वित्त पोषित है जिसको वहाँ की सरकारों का खुला सपोर्ट है! मुख्य उद्देश्य दुनिया भर के लोगों को ईसाई बनाना उनकी भाषा में बोले तो अंधकार से प्रकाश की तरफ़ ले जाना !
जोशुआ एक ईसाई मिशनरीज़ द्वारा चलाया जाने वाला प्रोजेक्ट है जो मुख्यतः "वैटिकन चर्च" द्वारा संचालित और वित्त पोषित है जिसको वहाँ की सरकारों का खुला सपोर्ट है!
मुख्य उद्देश्य दुनिया भर के लोगों को ईसाई बनाना उनकी भाषा में बोले तो अंधकार से प्रकाश की तरफ़ ले जाना !
इसके लिए वह लोग अन्य मत, मज़हब, पंथ और धर्म से जुड़े लोगों को टार्गेट करते हैं इसी उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए 10/40 विंडो को टार्गेट किया गया है
10/40 विंडो यह शब्द सुनने में थोड़ा अजीब ज़रूर है लेकिन इतना कठिन नहीं है ग्लोब पर नज़र डालेंगे तो यह काफ़ी आसान है
10/40 विंडो शब्द सबसे पहले लूईस बुश द्वारा उछाला गया जो की पूर्वी गोलार्ध तथा पश्चिमी में यूरोप तथा अफ़्रीका के भूभाग जो की उत्तरी ध्रुव के 10-40 डिग्री (10 डिग्री अक्षांश 40 डिग्री देशांश) में बसते हैं
जिसमें उत्तरी अफ़्रीका और लगभग पूरा एशिया (पूर्व पश्चिम उत्तर तथा दक्षिण) का भूभाग आता है जहाँ 1990 में सबसे कम ईसाई मत के लोग रहते थे अगर मोटा-मोटा कहें तो विश्व की दो तिहाई जनसंख्या इसी 10/40 की विंडो में रहती है जो की ईसाई मत को नहीं मानती थी या बहुत कम मात्रा में लोग मानते थे। जिसमें अधिकतम लोग ग़रीबी और जीवन के मूल्यों से अपरिचित थे, हालाँकि इसका कारण इन्हीं बर्बर गोरे ईसाई की संगठित लूट ही थी
इस विंडो में रहने वाली विश्व की दो तिहाई जनसंख्या उस समय तक बौद्ध, मुस्लिम और हिंदू धर्म/पंथ को मानती थी
अब यह इनके बारे में बेसिक जानकारी है डिटेल इससे कहीं अधिक भयानक है आप आगे पढ़ेंगे की यह कैसे ऑपरेट करते हैं और कौन-कौन शामिल है इनके साथ
तब तक के लिए बस इतना जान लीजिए कि इन लोगों द्वारा ही वर्तमान प्रधानमंत्री और तत्कालीन मुख्यमंत्री गुजरात का वीज़ा रुकवा दिया गया था जिसमें अपने यहाँ के बहुत सारे नेता भी शामिल थे वजह थी धर्म परिवर्तन के ख़िलाफ़ गुजरात में कड़ा क़ानून पास करना !
अगर थोड़ा बहुत भी ध्यान दिए हो तो UPA के विगत दस वर्ष के शासनकाल में हुआ धर्म परिवर्तन और उसके आँकड़े पर नज़र डालिए तस्वीर साफ़ होती दिखेगी
उपरोक्त वर्णन में केवल जोशुआ और ईसाई मतांतरण पर हल्का परिचय दिया है कि इसका गठन किस प्रकार हुआ और यह काम क्या करता है तो मिलाजुलाकर मत परिवर्तन करता है लेकिन प्रश्न है कैसे इनको पैसे कौन देता है और दूसरे देशों की सरकार कुछ कर क्यूँ नहीं पाती ?
1980 में US आधारित ईवैंजेलिकल क्रिसचन (ईसाई) संगठन समूह ने भारत में एक सुनियोजित कन्वर्ज़न (मतांतरण ) योजना शुरू की जिसको कैप्शन दिया गया AD 2000, जिनमें अनेकों संगठन सम्मिलित थे प्रमुखत: उनके नाम - international mission board, southern Baptist convention, Christian Aid, World Vision, Seventh Day Adventist Church and several similar enterprises
जिनका संचालन प्रसिद्ध इवैंजेलिस्ट Pat Robertson, Billy Graham, among others इत्यादि करते थे, इन सब ने मिलकर भारत को पूर्ण ईसाई देश बनाने का संकल्प लिया और एक साथ इस काम को अंजाम देने के लिए हाथ मिलाया
AD 2000 ज़िक्र सबसे पहले 1989 में मनीला के एक ईवैंजेलिकल सम्मेलन में हुआ जिस मिशन का नाम था Lausanne 2, यहाँ अंतरराष्ट्रीय लेवल के सभी ईवैंजेलिकल ग्रूप को एक साथ काम करने की सहमति बनी और 1990 आते आते इसका प्रचार पसार पूरी तरह से हो गया, इनका प्रमुख उद्देश्य था कि 2000 आते-आते प्रत्येक व्यक्ति को चर्च और गास्पल (सुसमाचार) उपलब्ध कराना तथा प्रत्येक व्यक्ति को जोड़ लेना !
जब यह प्रोजेक्ट भारत के लिए लॉंच किया गया तो यह पूर्ण रूप से शोध आधारित था भारत के सभी व्यक्ति समूह की डेमोग्राफ़िक अनालिसिस इकट्ठा की गई और इस काम को अंजाम दिया गया डॉक्टर के॰एस॰ सिंह के नेतृत्व में एक टीम द्वारा, इस प्रोजेक्ट को डॉक्टर के॰एस॰ सिंह ने "people of India" के नाम से किया था
यह किताब 1985 में ऐन्थ्रॉपलॉजिकल ग्रूप ऑफ़ इंडिया ने पब्लिश किया था जिसमें भारत के लोगों की आर्थिक सामाजिक स्थिति का पूरा ब्योरा था (caste, creed, class etc)। इस प्रोजेक्ट डाटा को ईसाईयों ने और ईवैंजेलिकल ग्रूप ने भरपूर इस्तेमाल किया अपने काम को अंजाम देने के लिए !
यह प्रोजेक्ट (AD 2000) मुख्यत: नोर्थ इंडिया आधारित था जिसका केंद्र था दिल्ली उसके आस पास की स्थिति (आर्थिक) बहुत ख़राब थी लोगों की और साथ ही ईसाइयों की संख्या बहुत ही कम थी, परंतु बहुत अधिक सफलता न मिलने से निराशा हाथ लगी
इसको पूरे विश्व से लगभग 186 देशों के 4000 नेता फ़ंडिंग करते थे जो की ईसाईयत् का प्रचार प्रसार चाहते थे और इन्हीं लोगों द्वारा जोशुआ का जन्म हुआ जो की रैपिड (त्वरित गति से) कन्वर्ज़न (मत परिवर्तन) को अंजाम दे सके
अगले भाग में बाक़ी कार्य प्रणाली और कुछ अन्य ख़ुलासों के साथ मिलेंगे तब तक के लिए यदि कुछ शब्दों का मतलब न पता हो तो बेझिझक कहें मैं लिख दूँगा वैसे आसान भाषा में लिखने का प्रयास किया है
क्रमशः