अलीबाबा और 32 ठग
आखिर में कभी तो सच को समझा जाए और सच को सच कहा जाए। नग्न सत्य यह है कि जहां इस्लाम है वहां कोई सहअस्तित्व संभव नहीं है। सिर्फ इस्लाम रहेगा, बाकी कोई नहीं। आप या तो स्पेन के Reconquista का रास्ता अपनाएं या खत्म हो जाएं।
आखिर में कभी तो सच को समझा जाए और सच को सच कहा जाए। नग्न सत्य यह है कि जहां इस्लाम है वहां कोई सहअस्तित्व संभव नहीं है। सिर्फ इस्लाम रहेगा, बाकी कोई नहीं। आप या तो स्पेन के Reconquista का रास्ता अपनाएं या खत्म हो जाएं।
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- आदर्श सिंह
- adarsh singh
देश में कुछ चंद नेहरूवियन सेक्यूलरिस्टों का नाम लेकर देखें तो आम तौर पर दिमाग में जो नाम आते हैं उनमें एक विलियम डैलरिंपल का भी होगा। भले ही अंग्रेज हों पर ज्यादा जीवन
दिल्ली में गुजारा है। इतिहासकार हैं और अतीतजीवी भी। उनकी नजर में भव्यता और दिव्यता सिर्फ इस्लामी आर्किटेक्चर और भांति भांति के कबाब में ही है। फिर भी मैं उनकी कलम का कायल हूं। पर जो पहली किताब पढ़कर उनका प्रशंसक हुआ वह मुगलों के बारे में नहीं थी बल्कि एक यात्रा वृत्तांत था- from the holy mountains : A Journey Among the Christians of the Middle East. इस किताब में उन्होंने बाइजैंटाइन साम्राज्य काल के एक ईसाई संत जॉन मोस्कोस की यात्राओं को दोहराया और ग्रीस के एक पहाड़ से मिस्र तक की यात्रा की। बाइजैंटाइन बाद में इस्लाम के उदय के बाद आटोमन साम्राज्य के नाम से नाम से जाना गया। यह इस्लामी साम्राज्य दूर दूर तक विस्तारित था पर खास तौर से तुर्की, सीरिया, लेबनान और आधुनिक इजराइल जिसे लेवांत कहते हैं, इसके केंद्र में थे। इस्लाम के उदय से पहले यह क्षेत्र ईसाइयत का केंद्र था।