Home > मनोरंजन > फिल्मी गप शप > आज भी फिल्में नायक केंद्रित ही बन रही हैं, जबकि पर्दे पर लड़कियों के लिए अधिक दवाब है : जुही चावला
आज भी फिल्में नायक केंद्रित ही बन रही हैं, जबकि पर्दे पर लड़कियों के लिए अधिक दवाब है : जुही चावला
उन्होंने कहा, "महिलाओं के लिए बाहर जाने और काम करने के स्वतंत्रता है, लेकिन दूसरी तरफ फिल्में अब भी नायक केंद्रित है। मुझे लगता है कि पर्दे पर लड़कियों के लिए अधिक दवाब है
samachar 24x7 | Updated on:19 Dec 2017 8:54 PM IST
X
उन्होंने कहा, "महिलाओं के लिए बाहर जाने और काम करने के स्वतंत्रता है, लेकिन दूसरी तरफ फिल्में अब भी नायक केंद्रित है। मुझे लगता है कि पर्दे पर लड़कियों के लिए अधिक दवाब है
- Story Tags
- नायक
- जुही चावला
नई दिल्ली 19 दिसंबर (वार्ता) : बॉलीवुड की 'चुलबुली' अभिनेत्री जूही चावला ने कहा है कि वह आज भी नायक प्रधान फिल्में बनाये जाने को लेकर हैरान हैं।
जूही ने कहा है कि मनोरंजन जगत में महिलाओं के लिए भले ही काफी
बदलाव आया है, लेकिन कुछ चीजें पहले जैसी हैं, जैसे कि फिल्में अब भी
नायक केंद्रित ही हैं।
जूही ने कहा, " मुझे यकीन नहीं है कि अभी दुनिया
में लिंग और समानता पर बहस क्यों है।
कुछ चीजें बेहतर हुई हैं और कुछ
चीजें बदल गई हैं।
मुझे यकीन नहीं है कि हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
उन्होंने कहा, "महिलाओं के लिए बाहर जाने और काम करने के स्वतंत्रता है, लेकिन दूसरी तरफ फिल्में अब भी नायक-केंद्रित है।
अधिकांश फिल्मों में हीरो नायक हैं।
मुझे लगता है कि पर्दे पर लड़कियों के लिए अधिक दवाब है, उन्हें छोटे कपड़े पहने, जीरो-साइज दिखने, लिव-इन रिलेशनशिप के साथ सहज और शांत दिखना होता है।
महिलाओं पर दवाब क्यों है?
क्या यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है?''
अभिनेत्री ने कहा," मुझे नहीं पता कि महिलाओं को ही क्यों समानता साबित करनी होती। मुझे लगता है कि वे कहीं बेहतर हैं।
मेरा मतलब है कि महिलाएं समाज का आधा हिस्सा हैं और अन्य आधों को बनाने की जिम्मेदारी भी उन्हीं की है, इसलिए वे ही खुद को साबित क्यों करें?''