S-400 एयर डिफेंस सिस्टम सौदा: पुतिन, मोदी, ट्रम्प और "वो"

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अंतोगत्वा भारत और रूस के बीच S-400 के 5 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने पर अनुबंध हो गया और उसके साथ उन तमाम आशंकाओं का भी अंत हो गया है जो इस अनुबंध के होने को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा भारत पर प्रतिबंध लगाये जाने के सम्बंध में थी।

रूस के राष्ट्रपति पुतिन व प्रधानमंत्री मोदी जी के बीच जो सहजता दिखी थी, उससे यह आभास पहले ही हो गया था कि यह यात्रा एक लंबे अंतराल तक चलने वाली सौदेबाज़ी व कूटनीति का पटाक्षेप है।

कूटनीतिक जगत में राष्ट्रपति पुतिन को कभी भी एक गर्मजोशी से भरे व्यक्तिव के रूप में नही माना जाता रहा है। वैश्विक जगत में पुतिन की छवि एक भूतपूर्व केजीबी अधिकारी की है जो अपने निर्णयों में निष्ठुर होने का आभास देता है व अपने आचरण में हमेशा एक सर्द व्यक्तिव को ओढ़े रहता है। इस बार की दिल्ली की यात्रा में परंपरागत पुतिन की जगह एक नये पुतिन को देखा गया है। उन्होंने जिस तरह खुद ही आगे बढ़ कर मोदी जी को गले लगाया, उसको देख कर लगा कि पुतिन ने खुद मोदी जी को ही चौका दिया है।

भारत और रूस के बीच जो सैन्य व वाणिज्य अनुबंध हुए है वे 5 बिलियन डॉलर से ज्यादा के है और इसका महत्व इससे आंका जा सकता है कि विश्व मे यह परसेप्शन दिया जा रहा था कि राष्ट्रपति ट्रम्प इसको लेकर भारत पर प्रतिबंध लगायेंगे। मैं कई जगह पढ़ चुंका हूँ कि मोदी जी ने भारत की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता दिखाते हुये ट्रम्प की धमकियों की परवाह न करते हुये यह सौदा किया है। यहां मेरे विचार कुछ और है क्योंकि वैश्विक कूटनैतिक जगत में यह सब इतना फिल्मी नही होता है। यह सही है कि मोदी जी ने आशानुसार भारत को प्रथम रखते हुये राष्ट्रहित में रूस से यह S-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदा है लेकिन मेरा यह दृढ़ता पूर्वक मानना है कि इसके पीछे की कहानी इतनी सीधी नही है।

मैं समझता हूँ कि भारत के साथ अंतराष्ट्रीय मीडिया ने अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प की जो एक झक्की, पागल, अहंकारी और बड़बोले की छवि बनाई है उसको खुद ट्रम्प बड़ा रसास्वादन करते है। इन्ही कारणों से मेरा मानना है कि बहुत कुछ सार्वजनिक रूप से ट्रम्प जो करते है वो मीडिया द्वारा स्थापित उनकी अहंकारी छवि को सिद्ध करने के लिये करते है ताकि उनका अप्रत्याशित स्वभाव उनके शत्रुओं और विपक्षियों को परेशान करता रहे और उनका व्यक्तित्व जो अंतराष्ट्रीय जगत में अपरंपरागत छवि के रूप में स्थापित है बना रहे।

यदि हम देखे तो पिछले 3 वर्षों में ट्रम्प ने अमेरिका व अंतराष्ट्रीय स्तर पर मीडिया के परसेप्शन के विरुद्ध बड़ी सफलता अर्जित की है। अमेरिकी मीडिया के तमाम दुष्प्रचार के बाद भी रिपब्लिकन वोटर्स में ट्रम्प को लेकर 87% सहमति है जो किसी भी अमेरिका के राष्ट्रपति के 2 वर्ष के कार्यकाल के बाद सबसे ज्यादा है। आज दशकों बाद अमेरिकी डॉलर विश्व मे सबसे सशक्त है। यही नही अमेरिका में बेरोजगारी 3.7% है जो 1969 के बाद सबसे कम है। ट्रम्प का अभी हाल में मेक्सिको अमेरिका कनाडा के बीच किया गया 'फ्री एंड फेयर ट्रेड एग्रीमेंट' एक विशेष उपलब्धि है जो वह भारत से भी करना चाहता है।

ट्रम्प की इन सफलताओं को देखते हुये मुझको यह पूर्ण विश्वास है कि ट्रम्प न सिर्फ एक सुलझे हुये व्यापारी है बल्कि मोदी जी की तर्ज़ पर, अपने राष्ट्र अमेरिकी के हितों को प्राथमिकता की श्रंखला पर प्रथम रखते है। इस सबको देख कर मेरा मानना है कि रूस से इस डील के होने से पहले पर्दे के पीछे ट्रम्प मोदी प्रशासन के बीच बहुत कुछ हुआ है, जिसकी जानकारी अभी सामने नही आने वाली है। वैसे मेरा संदेह है कि ट्रम्प भारत अमेरिका 'फ्री एंड फेयर ट्रेड' एग्रीमेंट कराने में सफल हो जायेंगे। वैसे भी ट्रम्प को चीन के विरुद्ध भारत चाहिये ही चाहिये और मोदी जी ने इसको अच्छी तरह भुनाया है।

अब आते है इस S-400 की पर जिसकी जितनी भारत की जरूरत थी उतनी ही रूस के राष्ट्रपति पुतिन की भी है क्योंकि सोवियत रूस भारत का परंपरागत सैन्य सामग्री का आपूर्तिकर्ता रहा था जो पिछले श्रखला टूट गयी थी। यह एक ऐसी डील है जो नई संभावनाओं को जन्म देती है।

पुतिन पुराने घाग जरूर है लेकिन वह भी जानते है कि रूस के लिए भारत मे आज महत्वपूर्ण होना जरूरी है। आज के काल मे, भारत के परिपेक्ष्य में चीन के साथ अभी खड़ा दिखना न उनके व्यापारिक हित मे है और न ही रूस की चीन आधारित अर्थव्यवस्था से अपने कद को बड़ा कर सकते है। इसके अलावा रूस व पुतिन के भारत की वर्तमान सरकार से सम्बंध में एक विशेष कोण और भी है। वह है सोनिया गांधी का बार बार रूस जाना और यह पुतिन के लिए एक कूटनीतिक सिर दर्द भी बन चुका है। पिछले 6 महीने में सोनिया गांधी 2 बार रूस की यात्रा कर चुकी है और उसको लेकर कई अफवाहों का जन्म भी हुआ जिससे राष्ट्रों के सम्बन्धो के बीच एक अविश्वास भी पनता है।

इसी का ही परिणाम यह था कि पुतिन ने अपने चरित्र विरुद्ध जाकर अगवानी के वक्त, मोदी जी से बड़ी गर्म जोशी से गले लग कर मिले और अनुबंध करने के बाद पुतिन ने मोदी जी को सितंबर 2019 में वोल्दिवोस्टक में होने वाली समिट के लिए एक वर्ष पूर्व ही आमंत्रित कर डाला है। आमंत्रित करते वक्त पुतिन ने प्रधानमंत्री न कह कर, प्रधानमंत्री मोदी जी कह कर, कांग्रेस व सोनिया गांधी को यह सन्देश भी भेज दिया है कि वलदामिर पुतिन का रूस मोदी को ही भारत के प्रधानमंत्री के रूप में देखते हुये अपनी नीति निर्माण कर रहा है।

संभव है मेरे आंकलन से लोग न सन्तुष्ट हो लेकिन मेरा अनुभव यही लिखने को कह रहा है।

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