मुखौटा --

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मुखौटा --

दुनिया में आपको रोज कई किरदार मिलते होंगे जो बड़ी शिद्दत से अपना किरदार निभाए जा रहे है। हर किसी ने अपने चेहरे पे एक मुखौटा लगा रखा है हर कोई खुस दिखाने और अपना दुःख छुपाने की नाकाम कोसिस कर रहा है इस वर्चुअल वर्ल्ड में लोग अपनापन ढूंढ रहे है यहाँ सिर्फ भावनाओ से खेला जाता है। यहाँ कोई पराया अपनापन लेकर आपकी ज़िंदगी मे आता है आपको लगता है कि हाँ यही तो है mr./mrs. परफ़ेक्ट लेकिन क्या वाकई।
रिश्तों में शर्त नही होती बस उन्हें जिया जाता है तुम मेरे लिए क्या हो जब ये बताने की जरूरत पड़ने लगे तो आप कही न कही कमजोर पड़ रहे है, हर पत्नी अपने पति में सबसे पहले अपने पिता को देखती है क्योंकि बेटियां जहाँ पिता की शान और सम्मान होती है वही बेटी के लिए उसका पिता एक सुपर हीरो जो कुछ भी कर सकता है, A dad is a daughter's first love.......
जब कोई लड़की शादी करके अपने पति के घर आती है तो उसे शुरू शुरू में वो सब मिलता है जो उसे चाहिए होता है प्रेम, सम्मान और समय .....लेकिन जैसे ही वक़्त थोड़ी करवट लेता है प्रेम और सम्मान तो रहता है लेकिन समय नही रह जाता क्योंकि पत्नी बच्चो में व्यस्त हो जाती है और पति उन बच्चों का भविष्य बनाने में और फिर शुरू होती है एक असफल गृहस्थ जीवन की शुरुआत।
जीवनसाथी को प्रेम के साथ सम्मान भी चाहिए होता है लेकिन उसके साथ जो सबसे जरूरी है वो है समय .....मेरा निजी आँकलन है जो अविवाहित होने की वजह से हो सकता है मैंने जो देखा हो महसूस किया हो गलत भी हो लेकिन ये सच है कि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा परिवारों (पति, पत्नी) में कम तनाव है और ऐसा सिर्फ समय देने के कारण है।
जहाँ आप समय नही दे पाते और आपको लगता है कि सिर्फ पैसे से हर चीज़ की पूर्ति हो सकती है तो आप गलत है ये चीज़े सिर्फ पुरुषों पर निर्भर नही करती वरन समान रूप से पत्नी पर भी लागू होती है। समय सबको चाहिए कैसे आप निकालते है ये आपपर निर्भर करता है
मुखौटा उतार के कही किनारे रख दीजिए और अपना वास्तविक स्वरूप अपने जीवनसाथी के साथ शेयर कीजिये अक्सर देखा है मैंने स्त्रियां खुद के आसपास एक दायरा बना लेती है खुद को मास्क कर लेती है जिसे छूने का अधिकार किसी को नही होता अपना दुःख अपनी वेदना सोसल पे शेयर करने की बजाय अपने जीवनसाथी के साथ कीजिये।
आज थोड़ा समय वर्चुअल वर्ल्ड की बजाय अपने निजी जीवन को दीजिये यकीन मानिए आप बेहतर महसूस करेंगे, वर्चुअल वर्ल्ड पे अपनापन मत ढूँढ़िये यहाँ सिर्फ सीखने आइये एक्सप्लोर किजिये यहाँ निजता अपनापन ढूंढने की कोशिश भी की तो ठगे जायेंगे क्योंकि यहाँ सिर्फ लोग खुद को अच्छा ही दिखाते है सिर्फ अच्छा हर कोई एक मास्क के पीछे छुपा बैठा है।
विशेष – (मुखौटा पर सजीव सारथी जी की कविता)
पहचान लेता है चेहरे में छुपा चेहरा - मुखौटा,
मुश्तैद है, तपाक से बदल देता है चेहरा - मुखौटा।
कहकहों में छुपा लेता है, अश्कों का समुन्दर,
होशियार है, ढांप देता है सच का चेहरा - मुखौटा।
बड़े-छोटे लोगों से, मिलने के आदाब जुदा होते हैं,
समझता है खूब, वक्त-ओ-हालात का चेहरा - मुखौटा।
देखता है क्यों हैरान होकर, आइना मुझे रोज,
ढूँढ़ता है, मुखौटों के शहर में एक चेहरा - मुखौटा।।

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